
किताब में प्रणब मुखर्जी ने खुलासा किया है कि साल 2015 में रूस की उनकी यात्रा से पहले, “मुझे पीएम मोदी ने सलाह दी थी कि असैन्य परमाणु सहयोग और अंतरिक्ष से लेकर रक्षा हार्डवेयर देने की प्रक्रिया, जिसमें सुखोई -30 और अन्य संवेदनशील उपकरण शामिल हैं, के साथ-साथ उच्च शिक्षा जैसे पहलुओं पर विस्तृत चर्चा (राष्ट्रपति व्लादिमीर) की जाए।”