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पाटेश्वर धाम के संत राम बालक दास जी के श्री मुख से प्रतिदिन ऑनलाइन सत्संग का आयोजन

21 सितम्बर2020बालोद: ऋषि महात्माओं साधु संतों की मुख से सुंदर कथा श्रवण के द्वारा हमारे हृदय के पट खुल जाते हैं और हृदय में छुपा हुआ अंधकार दूर हो जाता है,, पाटेश्वर धाम के संत राम बालक दास जी के श्री मुख से प्रतिदिन अद्भुत अलौकिक कथाओं का श्रवण श्रोताओं के अंधकार मय हृदय में ज्ञान का दीपक प्रज्वलित कर उन्हें ईश्वर मार्ग की ओर ले जाता है इस हेतु प्रतिदिन अपने अथक प्रयासों द्वारा एवं परिश्रम द्वारा ऑनलाइन सत्संग का आयोजन अपने सीता रसोई संचालन ग्रुप में प्रातः 10:00 से 11:00 और दोपहर 1:00 से 2:00 किया जाता है जिसमें सभी भक्तगण जुड़कर अपनी विभिन्न जिज्ञासाओं धार्मिक समसामयिक प्रादेशिक सभी तरह की भारतीय मानवी समस्याओं को बाबाजी के समक्ष रखते हैं और अपनी जिज्ञासाओं का समुचित उत्तर प्राप्त करते हैं
आज भी सीता रसोई संचालन ग्रुप में सत्संग का आयोजन किया गया जिसमें सभी भक्तों ने रामचरितमानस की चौपाइयां गुनगुनाई तो किसी ने मधुर मधुर भजनों का गायन किया, बाबा जी द्वारा मधुर भजनों की प्रस्तुति से सभी आनंदित हो उठे, पुरुषोत्तम अग्रवाल जी रामफल जी डुबोबत्ती यादव जी, तनु साहू शिवाली साहू के मधुर भजन सभी को आनंदित कर देते हैं
आज के सत्संग में रामफ़ल जी ने रामचरितमानस के अरण्य कांड की चौपाई ” काम क्रोध मोह आदि……. दोहे के भाव को स्पष्ट करने की विनती बाबाजी से की, इन चौपाइयों के भाव के स्पष्ट करते बाबा जी ने बताया कि रामचरितमानस की रचना में गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपनी चौपाइयों में द्वि अर्थी या विभिन्न अर्थी भावों को रखा है, यह पंक्तियां कई तरह के भाव रूप लिए हुए हैं, इसमें रावण ने स्त्रियों के 8 गुणों को वर्णित किया है, रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि स्त्रियों के गुण काम क्रोध मोह आदि होते हैं परंतु यह गुन उन स्त्रियों पर चारित्रिक होते हैं जो कि घर का अपने परिवार का वातावरण विपरीत करती हैं या उन्हें दुख या कष्ट पहुंचाती हैं,
जिन माताओ से यह संपूर्ण संसार रचा गया है वह अब नरक की खान कैसे हो सकती है कोई भी संत महात्मा या स्वयं गोस्वामी जी भी इस तथ्य को कहे तो अमान्य सा प्रतीत होता है स्वयं गीता में भी कृष्ण जी ने कहा भी है कि संतान उत्पत्ति एवं वंश वर्धन हेतु काम मै स्वयं हूं परंतु जो असीमित विषय वस्तु होती है उसमें स्त्री ही क्यों पुरुष भी नरक का रास्ता हो सकता है वर्तमान में तो देखा जाए तो स्त्री नहीं पुरुष ही अत्याचारी है प्रभु श्री राम को तो तारका में भी माता नजर आती है वह उस पर बान चलाने के लिए विश्वामित्र जी से मना कर देते हैं तब विश्वामित्र जी ने उन्हें उन स्त्रियों के चरित्र से अवगत कराया जो कि वध योग्य है अतः हम जब तक सदशास्त्रों का वचन वाचन पठन-पाठन नहीं करेंगे उनके ज्ञान को अर्जित नहीं करेंगे तो हमें सही ज्ञान का अर्जन नहीं आएगा अतः अपने घर में भगवान की पूजा तो आप करते हैं पर उनके ज्ञान को नहीं मानते संतो को आप मानते हैं पर उनकी नहीं मानते तो अपने पूजा घर में रखे हुए शास्त्रों का पठन-पाठन अवश्य करिए तथा उनके गुण और ज्ञान को अपने में लाने का प्रयत्न करें
नारी का सम्मान करें जन्म देने वाली मां का जो सम्मान नहीं करता उसकी पूजा तो भगवान भी स्वयं स्वीकार नहीं करते पाटेश्वर धाम के संत राज योगी बाबा जी के ही उच्च विचार है जो आज जामडी पाटेश्वर धाम में माताओं का इतना सम्मान किया जाता है यहां उनके आगमन पूर्व 1975 तक माताओं बहनों का पाटेश्वर जी के समक्ष प्रवेश वर्जित था परंतु सम्मान पूर्वक बड़े बाबा जी ने इस अमाननीय नियम को तोड़ कर सभी माताओं बहनों को पाटेश्वर धाम में ससम्मान प्रवेश के लिए प्रेरित किया एवं आज सभी लोग पाटेश्वर बाबा जी के दर्शन हेतु माताएं बहने सहित सम्मिलित होकर जाती हैं।

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