BalodChhattisgarh

पाटेश्वर धाम के संत रामबालक दास जी द्वारा ऑनलाइन सत्संग का आयोजन

@apnewsबालोद29 अगस्त पाटेश्वर धाम के संत रामबालक दास जी द्वारा ऑनलाइन सत्संग का आयोजन उनके सीता रसोई संचालन ग्रुप में प्रातः 10:00 से 11:00 बजे और दोपहर 1:00 से 2:00 बजे प्रतिदिन किया जाता है, उनका यह अद्भुत प्रयास आज सभी संत भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है जो जनकल्याण की भावना से संत श्री द्वारा अपने अथक प्रयासों द्वारा संचालित किया जा रहा है, जिसमें सभी भक्त धार्मिक रूप से लाभान्वित हो रहे हैं और इस कोरोना काल में अपनी मानसिक स्थिति को सुदृढ़ बना रहे हैं सत्संग परिचर्चा में प्रतिदिन बाबा जी द्वारा समसामयिक घटनाओं पर धार्मिक घटनाओं पर एवं देश से संबंधित विभिन्न घटनाओं पर चर्चा की जाती है भक्त अपनी जिज्ञासा भी बाबाजी के समक्ष रखते हैं उनको बाबाजी अपने ज्ञान द्वारा तृप्त करते हैं,
आज झुल ग्यारस पर बाबा जी ने सभी को एकादशी की बधाइयां दी एवं सभी ने उन्हें शुभकामनाएं प्रदान की
एकादशी की महिमा बताते हुए बाबा जी ने कहा कि वैसे तो सभी एकादशी का बहुत महत्व है यह व्रत भगवान श्री विष्णु को अति प्रिय है जो भी व्यक्ति इसे करता है वह, श्री विष्णु जी का प्रेम पात्र बन जाता है, एकादशी के दिन अन्न खाने वाले को दोष लगता है, इसीलिए एकादशी पर यह व्रत आवश्यक हो जाता है इस दिन रोगी बालक और वृद्ध को छोड़कर अन्य सभी को यह व्रत करना चाहिए, आज झुल ग्यारस की कथा बताते हुए बाबा जी ने बताया कि जब भगवान श्री विष्णु ने वामन अवतार में राजा बली को पाताल लोक भेज दिया था तो इंद्र ने उन पर आक्रमण किया जिसे बचाने की विनती बली ने विष्णु भगवान से कि और तब से विष्णु भगवान चार माह के लिए सुतल लोक में वास करने लगे और तभी से 4 माह में देव शयनी ग्यारस से देवउठनी ग्यारस के बीच कोई भी शुभ कार्य नहीं होता, झुल ग्यारस एकादशी के दिन कहा जाता है कि भगवान करवट लेते हैं इसीलिए इसे परिवर्तन एकादशी भी कहा जाता है
सत्संग परिचर्चा में पाठक परदेशी ने जिज्ञासा रखी की परमात्मा का स्वरूप आनंद रूप है इस पर प्रकाश डालने की कृपा हो, इस विषय पर प्रकाश डालते हुए बाबाजी ने बताया कि मधुराष्टकम् में कहा गया है कि परमात्मा का सर्वनाम मधुर है, परमात्मा का सर्वस्वरूप आनंदमय और मंगलमय हैं भगवान का प्रत्येक रुप अद्भुत आनंद दायक है चाहे बह नीलकंठ शिव हो गिरधर गोपाल हो वामन अवतार हो रामजी का अद्भुत सौंदर्य हो हनुमान जी का पावन छवि हो नरसिंह जी का गरजता हुआ स्वरूप हो भगवान जैसे जिस रूप में है अद्भुत मनमोहक अलौकिक अप्रतिम सौंदर्य लिए हुए सभी कलाओं से युक्त आनंददायक ही है
, कुछ लोग मानते हैं कि सुख में आनंद है, ऐसा नहीं है, आंखों को कुछ अच्छा दिख जाना इसे ही सुख मानते हैं कानों से कुछ अच्छा सुन लेना यह सुख है जीभ से कुछ अच्छा स्वाद मिल गया हो तो सुख मिल गया ऐसे इंद्रिय सुख रूप रस गंध स्वाद को जीवन सुख मान मिथ्या व्यक्ति उसी को सुख मान कर जी रहे हैं,
यह सुख भी आनंद नहीं, आनंद आत्मा का विषय है, यह ह्रदय से जुड़ा भाव है सच्चिदानंद यह परमात्मा का रूप है सत्य चित आनंद जो सत्य पर निर्भर है सत्य पर टिका है सत्य से सना हो, सत्य हो आगे भी सत्य पीछे भी जो सत्य से प्रकाशित है साथ ही जो मन बुद्धि का विषय ना हो, जो चित में समाए जो आनंद का वर्णन करें, जिसके आने से ही आनंद मिल जाए ऐसे परमानंद की प्राप्ति कैसे हो इसे जानते हैं
उस शाश्वत आनंद की प्राप्ति जो शरीर देह सुख से भिन्न है जो केवल इस जन्म के लिए नहीं हमारे अनेकों जन्म तक हमारे साथ है ध्यान योग योगा से सात्विक जीवन जीने से सात्विक भोजन करने से सदैव मन को पवित्र रखने से जो मन को अपवित्र करें ऐसे भोजन ना करें ऐसे वचन ना बोले इन सब का त्याग करे तब आपको उस सच्चे आनंद की प्राप्ति होगी ऐसा आनंद जो आपके सत्त्व में है जो आपके सँतत्व में है जो आपके सतीत्व में है जो आपके सच्चरित्र में है शाकाहार में है और वह आपके अंदर चित् में है अंदर ढूंढे, आनंद जो आप दूसरों को देते हैं उसी में यह परमानंद जुड़ा है
परदेशी राम वर्मा जी ने प्रश्न किया कि नाम जप की महिमा पर प्रकाश डालने की कृपा हो, नाम जप की महिमा बताते हुए बाबा जी ने कहा कि भगवान श्री गणेश ने भूमि पर श्री राम जी का नाम लिख कर उसकी परिक्रमा कर प्रथम पूज्य कहलाए इस प्रकार राम नाम की महिमा है नाम जप करने वाला चाहे गणेश हो या गण हो चाहे सामान्य जन हो भगवान का नाम व्यक्ति या पद देखकर जाती पाती देखकर फल नहीं देता वह सबको इसका बराबर फल देता है इसलिए नाम जप की बड़ी महिमा है जिस प्रकार नाम के बिना हमारा अस्तित्व नहीं संसार से भले ही हम मिट जाए परंतु हमारा नाम हमेशा रहता है उसी प्रकार नाम जप की महिमा है
इस प्रकार आज का सत्संग आनंददायक रहा
जय गौ माता जय गोपाल जय सिय

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page