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पंजाब, हरियाणा में 4 लाख हेक्टेयर तक घटेगा धान का रकबा, मजदूरों की कमी भी वजह

Sowing of paddy
Image Source : PTI

नई दिल्ली। मानसून के इस साल फिर मेहरबान रहने से किसानों को फिर इस साल खरीफ सीजन में अच्छी पैदावार की उम्मीद जगी है, लेकिन देश में खाद्यान्नों के प्रमुख उत्पादक राज्य पंजाब और हरियाणा में मजदूरों का अभाव होने के कारण धान के बजाय दूसरी फसलों की बुवाई के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

अनुमान है कि दोनों राज्यों को मिलाकर इस साल धान का रकबा तकरीबन चार लाख हेक्टेयर कम रहेगा। पंजाब सरकार ने धान का रकबा पिछले साल के 23 लाख हेक्टेयर से घटाकर इस साल 20 लाख हेक्टेयर रखने का लक्ष्य रखा है। वहीं, हरियाणा सरकार ने एक लाख हेक्टेयर धान का रकबा घटाने का लक्ष्य रखा है।

दोनों प्रांतों की सरकारें क्रॉप डायवर्सिफिकेशन कार्यक्रम पर विशेष जोर दे ही हैं जिसके तहत किसानों को ज्यादा पानी की जरूरत वाली फसलों की जगह कम पानी की जरूरत वाली फसलें लगाने के लिए कहा जा रहा है। हरियाणा सरकार इसके लिए किसानों को धान के बदले दूसरी फसल लगाने पर प्रति एकड़ 7000 रुपये की दर से प्रोत्साहन दे रही है।

कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि हर साल बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के मजदूर धान की रोपाई और कटाई के समय आते थे, लेकिन इस साल कोरोना वायरस संक्रमण के कारण मजदूरों के आने की उम्मीद नहीं है यही कारण है कि पंजाब और हरियाणा में धान के बदले दूसरी फसलों की बुवाई पर जोर दिया जा रहा है।

पंजाब के कृषि निदेशक एस. के. ऐरी कहते हैं कि क्रॉप डायवर्सिफिकेशन के तहत धान के बदले मक्का या कपास की खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, “इसकी मुख्य वजह तो यह है कि हमारे यहां भूजल स्तर नीचे जा रहा है। ऐसे में ज्यादा पानी की जरूरत वाली फसल धान की खेती कम करने पर जोर दिया जा रहा है।”

पंजाब में हालांकि बासमती की खेती बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। कृषि निदेशक ने बताया कि पिछले साल जहां बासमती का रकबा 6.30 लाख हेक्टेयर था वहां इस साल सात लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य है। वहीं, मक्के का रकबा पिछले साल के 1.60 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर इस साल तीन लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य है। जबकि धान का रकबा 23 लाख से घटाकर 20 लाख हेक्टेयर तक करने की कोशिश की जा रही है। पंजाब में कपास का रकबा पिछले साल के 3.92 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 4.80 लाख हेक्टेयर हो गया है और सरकार इसे पांच लाख हेक्टेयर तक ले जाना चाहती है।

भूजल स्तर नीचे जाने की समस्या हरियाणा में भी है जिसको लेकर सरकार क्रॉप डायवर्सिफिकेशन को तवज्जो दे रही है। हालांकि हरियाणा के कृषि विभाग के अधिकारी आर. पी. सिहाग कहते हैं कि मजदूरों का अभाव भी एक वजह है, जिसके चलते धान के बजाय मक्का, बाजरा, दलहन और दूसरी फसलों के साथ-साथ सब्जियों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

सिहाग ने बताया कि किसान धान के बदले दूसरी फसल लगाने में दिलचस्पी ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि कपास के लिए भी मजदूरों की जरूरत अधिक होती है, इसलिए किसान मक्का, बाजरा व अन्य फसल लगा रहे हैं। हरियाणा में पिछले साल धान का रकबा करीब 13 लाख हेक्टेयर था।

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