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जानें, राम मंदिर निर्माण शुरू होने पर RSS चीफ मोहन भागवत ने क्या कहा

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इस काम के लिए जिन लोगों ने बलिदान दिया है वे सूक्ष्म रूप से यहां उपस्थित हैं, भले ही वे प्रत्यक्ष रूप में यहां नहीं आ सकते।
Image Source : ANI

अयोध्या: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी। भूमि पूजन समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और RSS प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे। पुजारियों ने मंत्रोच्चारण के साथ भूमि पूजन की शुरुआत की और फिर मोदी द्वारा मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखे जाने के साथ ही भूमि पूजन संपन्न हो गया। इस मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने लोगों को संबोधित करते हुए इसे आनंद का क्षण बताया।

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भागवत ने कहा, यह आनंद का क्षण है, बहुत प्रकार से आनंद है
लोगों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, ‘आनंद का क्षण है, बहुत प्रकार से आनंद है। एक संकल्प लिया था और उस समय सरसंघ संचालक बालासाहेब देवरस जी ने यह बात याद दिलाई थी कि बहुत लगकर 20-30 वर्ष काम करना पड़ेगा, तब कहीं यह काम होगा। आज 30वें साल के प्रारंभ में हमें संकल्प पूर्ति का आनंद मिल रहा है।’ भागवत ने कहा कि इस काम के लिए जिन लोगों ने बलिदान दिया है वे सूक्ष्म रूप से यहां उपस्थित हैं, भले ही वे प्रत्यक्ष रूप में यहां नहीं आ सकते। 

RSS प्रमुख ने कहा, आडवाणी जी घर से कार्यक्रम देख रहे होंगे
राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े नाम पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का जिक्र करते हुए भागवत ने कहा, ‘आडवाणी जी आज अपने घर पर बैठकर इस कार्यक्रम को देख रहे होंगे। आज की परीस्थितियों में कई लोगों को बुलाया नहीं जा सका, लेकिन वे भी इस कार्यक्रम को देख रहे हैं। आनंद की लहर है, सदियों की आस पूरी होने की आनंद है।’ इस मौके पर विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंह को याद करते हुए भागवत ने कहा, ‘लगता है अशोक जी यहां रहते तो कितना अच्छा होता। महंत परमदास जी होते तो कितना अच्छा होता।’

‘विश्व कोरोना महामारी के दौरान तीसरा रास्ता देख रहा है’
भागवत ने कहा, ‘अभी कोरोना का दौर चल रहा है, पूरा विश्व कोरोना महामारी के दौरान तीसरा रास्ता देख रहा है। यहां अब भव्य मंदिर बनेगा, सारी प्रक्रिया शुरू हो गई, दायित्व बांटे गए हैं, जिनको जो काम है वे करेंगे। ऐसे समय में हम सब लोगों को अपने मन की अयोध्या को सजाना सवारना है। संपूर्ण विश्व को सुख शांति देने वाला भारत हम खड़ा कर सके इसलिए हमको अपने मन को अयोध्या बनाना है। यहां जैसे जैसे मंदिर बनेगा वह अयोध्या भी बनती जानी चाहिए। मंदिर के पूरा होने के साथ हमारा मन मंदिर भी तैयार होना चाहिए।’

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