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चीन की चालाकी और भारत का जवाब, एशियाई मामलों के जानकार माइकल कुगलमन की इस पर राय

India China standoff । Representative image
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नई दिल्ली। लद्दाख में भारत और चीन के बॉर्डर पर दोनो देशों के सैनिकों की झड़प के बाद पूरी दुनिया की नजर अब दोनो देशों की क्रिया और प्रतिक्रिया पर टिकी हुई है। दोनों देश दुनिया की बड़ी ताकतें हैं और दोनों के बीच अगर टकराव बढ़ता है तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। भारत और चीन के बीच बढ़े इस टकराव का भविष्य क्या होगा? यह सवाल पूरी दुनिया के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती है और इंडिया टीवी संवाददाता निधी तनेजा ने इस मुद्दे को एशियाई मामलों के जानकार और वॉशिंगटन के विल्सन सेंटर के उप निदेशक माइकल कुगलमन की राय जानी। 

माइकल कुगलमन ने कहा कि न चीन भारत के साथ अपने रिश्ते पूरी तरह खत्म करना चाहता है और न ही भारत ऐसा चाहता है दोनों को कई वैश्विक मंचों पर एक-दूसरे की जरूरत है। माइकल कुगलमन ने कहा है कि हो सकता है कि अमेरिका की तरफ भारत के बढ़ते झुकाव को देखते हुए चीन ने दोनो देशों को अपना संदेश देने के लिए लद्दाख में इस तरह का टकराव पैदा किया हो। उन्होंने कहा कि जब भारत ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म किया था तो उस समय भी चीन ने इसका विरोध किया था और हो सकता है कि चीन ने इस वजह से भी लद्दाख में भारत के साथ टकराव बढ़ाया हो।

माइकल कुगलमन ने कहा कि ऐसा नहीं है कि अमेरिका के साथ अगर चीन के रिश्ते अच्छे होते तो वह लद्दाख में ऐसी हरकत नहीं करता, अमेरिका के साथ सामान्य रिश्ते होने पर भी चीन ऐसा कर सकता था, लेकिन इस बार उसे बहाना जरूर मिला है जिसके जरिए वह दोनो देशों को संदेश दे सके।

माइकल कुगलमन ने इंडिया टीवी को बताया कि भारत के पास चीन को जबाव देने के लिए सैनिक विकल्प के मुकाबले चीन के खिलाफ आर्थिक कदम उठाना ज्यादा बेहतर विकल्प था और भारत ने वहीं किया है। लेकिन इसका नुकसान भारत को हो सकता है क्योंकि चीन ने भारत में कई सेक्टर में निवेश किया हुआ है और चीन के खिलाफ आर्थिक कदम उठाने का असर पहले से सुस्ती की मार झेल रही भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। 

माइकल कुगलमन ने इंडिया टीवी को बताया कि चीन के साथ लद्दाख में भारत का टकराव बढ़ने का फायदा पाकिस्तान उठा सकता है और वह जम्मू कश्मीर में पहले के मुकाबले ज्यादा आतंकी भेज सकता है क्योंकि भारत को अपने कुछ सुरक्षाबल एलओसी से हटाकर एलएसी पर लगाने पड़ रहे हैं और पाकिस्तान इसका फायदा उठा सकता है।

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