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चक्रवात निसर्ग: महाराष्ट्र के रायगढ़ और पालघर जिले हुए प्रभावित, 120 किमी की रफ्तार से चली हवाएं

चक्रवात निसर्ग: महाराष्ट्र के रायगढ़ और पालघर जिले हुए प्रभावित, 120 किमी की रफ्तार से चली हवाएं
Image Source : PTI

मुम्बई/नयी दिल्ली: चक्रवात निसर्ग बुधवार को मुंबई के करीब तक पहुंचा, लेकिन कोविड-19 महामारी से जूझ रहे महानगर को इसने प्रभावित नहीं किया और शाम में यह कमजोर भी पड़ गया। हालांकि, इसके पड़ोस के रायगढ़ और पालघर जिले में तूफान के चलते पेड़ उखड़ गये। महाराष्ट्र तट पर आज दोपहर 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पहुंचने के बाद यह चक्रवात शाम में कमजोर पड़ गया। देर रात तक यह और कमजोर हो जाएगा। भारत मौसम विभाग ने नयी दिल्ली में यह जानकारी दी। इस बीच, पुलिस ने बताया कि महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के उमात गांव में चक्रवात से बचने की कोशिश में अपने घर भागने के दौरान 58 वर्षीय एक व्यक्ति पर बिजली का एक ट्रांसफॉर्मर गिर गया, जिससे उसकी मौत हो गई।

एक अधिकारी ने बताया कि चक्रवात से संबंधित दो अलग घटनाओं में पुणे जिले में दो लोगों की मौत हो गई। भारत मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चक्रवात ‘निसर्ग’ बुधवार दोपहर महाराष्ट्र तट पर 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाओं के साथ पहुंचा। यह अरब सागर से आया और दोपहर करीब साढ़े बारह बजे रायगढ़ जिले में स्थित अलीबाग में इसने दस्तक देना शुरू किया। यह प्रक्रिया दोपहर ढाई बजे पूरी हुई। 

गुजरात के तटीय जिलों सहित मुंबईवासियों और पड़ोसी इलाकों के लोगों ने चक्रवात का मुकाबला करने के लिये तैयारियां कर रखी थी, लेकिन प्रभावित इलाकों में नुकसान के रूप में पेड़ उखाड़े जाने तक तूफान के सीमित रहने के चलते लोगों ने राहत की सांस ली। निसर्ग के आने से पहले इसके मार्ग से हजारों लोगों को हटाया गया, उड़ानें रद्द कर दी गईं, मछुआरों को समुद्र से दूर रहने का आदेश दिया गया और बचावकर्मियों को तैयार रखा गया। 

निसर्ग अरब सागर से आया और यह तटीय शहर अलीबाग पहुंचा। अलीबाग मुंबई से करीब 110 किमी दूर स्थित एक छोटा शहर है, जहां कई किले और मंदिर हैं। वहां बॉलीवुड के कई कलाकार भी रहते हैं। चक्रवात अम्फान के पश्चिम बंगाल में तबाही मचाने के हफ्ते भर बाद निसर्ग तूफान आया है। विभाग ने कहा कि तूफान से कच्चे मकान, पेड़, बिजली के खंभे गिर सकते हैं। हालांकि, तूफान के कमजोर पड़ जाने से यह स्पष्ट है कि अनुमान से काफी कम नुकसान हुआ है। मुंबई में 1948 में आये बड़े चक्रवात के दौरान इसके उपनगर विले पारले में रही पुणे की सुचेता नादकर्णी (81) ने कहा, ‘‘मुझे याद है कि उस चक्रवात में हमारे इलाके में बड़े पेड़ उखड़ गये थे और हमारे बगीचे के पौधे नष्ट हो गये थे’’ उन्होंने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘मैं उस वक्त 10 साल की थी।’’ 

महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट ने कहा कि मुंबई में निसर्ग का खतरा कम हो गया है लेकिन अगले कुछ घंटे अहम होंगे। उन्होंने कहा कि चक्रवात के मार्ग को ध्यान में रखते हुए पुणे, नासिक और अहमदनगर में अधिकारी हाई अलर्ट पर हैं। मंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘मुंबई को चक्रवात का खतरा कम हो गया है लेकिन अगले कुछ घंटे महत्वपूर्ण रहेंगे। चक्रवात अपने केंद्र से औसतन 200 किमी की दूरी को अपने प्रभाव में ले सकता है। 

मौसम विभाग के एक बुलेटिन के मुताबिक, चक्रवात 90 से 100 किमी की रफ्तार वाली हवाओं के साथ शाम चार बजे तक कमजोर पड़ना शुरू हो गया। विभाग ने शाम में एक बुलेटिन में कहा कि यह तूफान अभी रायगढ़ और पुणे जिलों के ऊपर मौजूद है। हवा की मौजूदा रफ्तार घट कर 65 से 75 किमी प्रति घंटा हो गई है। बुलेटिन के मुताबिक, यह चक्रवात देर रात तक हवा के कम दबाव के क्षेत्र में तब्दील हो जाएगा। चक्रवाती तूफान के महाराष्ट्र में दस्तक देने से पहले मुम्बई के चिड़ियाघर के सभी मांसाहारी जानवरों को बारिश और तेज हवाओं से बचाने के लिए सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया। 

एक अधिकारी ने बताया कि चिड़ियाघर के आपात प्रतिक्रिया दल को किसी भी अप्रिय स्थिति के लिए सतर्क रहने को कहा गया है। शहर में बारिश के कारण ‘वीरमाता जीजाबाई उद्यान’ में खराब मौसम और पेड़ों के गिरने से किसी भी नुकसान से जानवरों को बचाने के लिए सभी कदम उठाए गये हैं। यह चिड़ियाघर 50 एकड़ क्षेत्र में फैला है । बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के एक अधिकारी ने बताया कि बाघ, तेंदुए और लकड़बग्घा जैसे मांसाहारी जानवरों को सुरक्षित स्थानों पर रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को इन दोनों राज्यों (महाराष्ट्र, गुजरात) के मुख्यमंत्रियों से बातचीत कर उन्हें केंद्र द्वारा हरसंभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया था। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि चक्रवाती तूफान के मद्देनजर एनडीआरएफ की टीमों को राज्य के कई हिस्सों में तैनात किया गया है। 

 

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