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केवल चार श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को गंतव्य पर पहुंचने में लगे 72 घंटे: रेलवे

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नई दिल्ली. ट्रेनों के भटक जाने की खबरों पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी के यादव ने शुक्रवार को कहा कि एक मई से जब से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलने लगी हैं, तब से अबतक कुल 3840 ऐसी ट्रेनों में केवल चार ट्रेनों ने ही अपने गंतव्य पर पहुंचने में 72 घंटे लिये। उन्होंने यह भी कहा कि इन प्रवासी ट्रेनों में 90 फीसद ट्रेनें नियमित मेल एक्सप्रेस ट्रेनों से अधिक औसत रफ्तार से चलीं।

यादव ने कहा, ‘‘ 20-24 मई के दौरान , उत्तर प्रदेश और बिहार से अधिक मांगें होने के कारण 71 ट्रेनों के मार्ग बदले गये, क्योंकि देशभर से 90 फीसद ट्रेनें उत्तर प्रदेश और बिहार ही जा रही थीं।’’ बिहार के लिए 51 ट्रेनों, उत्तर प्रदेश के लिए 16, झारखंड के लिए दो और मणिपुर के एक ट्रेन के मार्ग में परिवर्तन किया गया। मार्ग परिवर्तन वाली ट्रेनें महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और राजस्थान से चली थीं।

यह स्पष्टीकरण तब आया है जब विलंब को लेकर यहां तक कह दिया गया कि प्रवासी ट्रेनें अपने गंतव्य पर पहुंचने से पहले ही गायब हो रही हैं। यादव के अनुसार 28 मई तक 3840 ट्रेनों ने 52 लाख यात्रियों को पहुंचाया। उन्होंने कहा कि पिछले एक सप्ताह में 1524 श्रमिक ट्रेनें चली हैं और 20 लाख से अधिक यात्री पहुंचाये गये।

उन्होंने कहा, ‘‘रेलवे ने भेजने वाले राज्यो के कभी सभी अनुरोधों को समायोजित किया और हम श्रमिकों की आवाजाही की सभी मांग पूरा करने के लिए तैयार हैं।’’ अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ फिलहाल हमारे पास 492 ट्रेनों की मांग है।’’ यादव ने यह भी कहा कि रेलवे ने उन लोगों की सूची तैयार की जो श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में मर गये। उन्होंने साथ ही पहले से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे, गर्भवती महिलाओ और बुजुर्गों से अनावयक यात्रा से बचने की अपील की। 

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