BalodChhattisgarhखास-खबर

ऑनलाइन सत्संग का आयोजन पाटेश्वर धाम के संत श्री राम बालक दास

बालोद। प्रतिदिन ऑनलाइन सत्संग का आयोजन पाटेश्वर धाम के संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा उनके ऑनलाइन ग्रुप सीता रसोई संचालन ग्रुप में किया जा रहा है, जिसमें भक्तों द्वारा बहुत ही बहुत अच्छे-अच्छे जिज्ञासा आती है कभी कुछ परिवार के बारे में कुछ घर के बारे में कुछ जीवन जीने की कला के बारे में तो कुछ रामायण गीता भागवत पुराण के बारे में विभिन्न समसामयिक विषयों पर भी चर्चा आती है,
इसी तरह आज एक छोटी सी जिज्ञासा श्री मति माया ठाकुर डोंडीलोहारा ने बाबा जी से किया कि क्या घर में श्री गणेश जी की दो प्रतिमाओं को स्थापित करने पर कोई दोष होता है, इसे स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया की हमारे धार्मिक दृष्टिकोण में इस प्रकार का कोई भी विचार या भाव बिल्कुल नहीं है, विचार कीजिए की यदि कोई व्यक्ति हमें भेंट स्वरूप गणेश जी की प्रतिमा देते हैं तो क्या हम उसे अस्वीकार कर देंगे, वैसे तो जरूरत अनुसार ही प्रतिमा स्थापना होना चाहिए पाटेश्वर धाम में भी कभी गिन कर या चुनकर भगवान की स्थापना नहीं की गई है हम सुनते हैं कि, एक शंख नहीं होना तीन शंख नहीं होना 2 शिवलिंग नहीं होना 4 सालिगराम नहीं होना इतने भगवान नहीं होना उतने भगवान नहीं होना तो यह सब मात्र भ्रम है भगवान कम या ज्यादा रहे उनकी शक्ति उतनी ही रहती है ना वह कम होती है ना ही ज्यादा होती परंतु सलाह यही है कि आप जितनी प्रतिमा को सुंदरता पूर्वक भली प्रकार पूजन कर सके उतने ही भगवान रखे परंतु ऐसा कतई नहीं कि दो गणेश जी रखेंगे तो किसी प्रकार का दोष होगा या तीन रखेंगे तो यह केवल आपकी श्रद्धा विशेष है बस उनका पूजन अच्छे से आप कर सके आपका दायित्व निर्वहन कर सके उतने ही भगवान अपने घर में रखें
पाठक परदेसी जी ने जिज्ञासा रखते हुए पूछा कि, वह कौन सा तत्व है जिसे जान लेने के बाद अन्य कुछ भी जानना शेष नहीं रहता साहित्यकार पाठक परदेसी जी के ज्ञान की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए बाबा जी ने इस प्रश्न को बताते हुए कहा कि यह प्रश्न वेदांत का विषय है जहां हमारे दंत वृत्ति का अंत हो जाता है हमारी आसुरी वृत्ति समाप्त हो जाती है तब वेदांत का प्रारंभ होता है,
जीवन में वह तत्व जिसको पाने के बाद हमें कुछ भी प्राप्त करने की इच्छा ना रह जाए,केवल और केवल ईश्वर तत्व है, जो कि हम सब के भीतर ही समाया हुआ है खुशी के रूप में एक दूसरे की सेवा के रूप में सद्भावना सहकारिता समरसता के रूप में एक बार उसको प्राप्त कर ले तो हम अपने आप को पूर्ण कर पाएंगे वह संपूर्णत्व ही आपको ईश्वर तत्व का अनुभव कराएगा जिससे आप अपने आप में कभी किसी भी तरह की कमी का अनुभव नहीं करेंगे
प्रतिदिन की भांति ऋचा बहन के द्वारा सुंदर मीठा मोती प्रेषण ग्रुप में किया गया आज के मीठा मोती में ऋचा बहन ने संदेश दिया की गुलाब की सुरक्षा कांटो के बीच होती है,उसी तरह कठिन दुःखमय परिस्थियों के बीच ईश्वर के याद आने से जीवन सुरक्षित होती है।”
इस विचार पर अपनी भाव रखते हुए बाबाजी ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा, में भगवान श्री कृष्ण अपनी बुआ कुंती से कहते हैं कि बुआ इतना बड़ा युद्ध हुआ आप मुझसे कुछ मांग लो तब कुंती बुआ जो भगवान की बुआ है ने कहा कि हे वासुदेव कृष्ण श्यामसुंदर नीलमणि यदि आप हमें कुछ देना चाहते हैं तो दुख दीजिए क्योंकि जब जब जीवन में दुख आए हैं तब तब आप हमारे साथ रहे हो
आज की गीता प्रसंग में बाबा जी ने गीता ज्ञान को संबोधित करते हुए सभी को अवगत कराया कि भगवान श्री कृष्ण ने जब गीता का उपदेश दिया तब उनके मनोभाव क्या थे उन्होंने 3 तरह से गीता का उपदेश दिया प्रथम वाणी के द्वारा द्वितीय अपने चेहरे के भाव के द्वारा तीसरा उनके द्वारा किया जाने वाला कर्म
गीता के 15 अध्याय में श्री कृष्ण जी ने कहा है कि सभी ही मेरे हैं कोई पराया नहीं सभी मेरे ही अंश है, गीता हमें बताता है कि यह शरीर क्षणभंगुर है यदि शरीर व शरीर द्वारा उत्पन्न किसी भी सुख को हम स्थाई मानते हैं तो वह निश्चित ही गलत है वे शाश्वत नहीं है, पंचतत्व से निर्मित शरीर का उपयोग हमें भगवान की भक्ति के लिए उनके भजन के लिए सत्संग के लिए करना चाहिए जिसके लिए भगवान ने हमें इस सृष्टि में भेजा है,गीता में श्रीकृष्ण भगवान जी अर्जुन से कहते हैं कि मुझे भज कर लोग स्वर्ग तक की कामना करते हैं और मैं उन्हें यह देता भी हूं लेकिन क्या परमात्मा को भजकर स्वर्ग ही चाहिए उस से बढ़कर इस संसार में कुछ नहीं, यहां श्री कृष्ण भगवान कह रहे हैं कि भगवान जिसे प्राप्त हो जाए उसे स्वर्ग की भी कामना करना व्यर्थ है
इस प्रकार आज का गीता के ज्ञान से परिपूर्ण सत्संग समाप्त हुआ
जय गो माता जय गोपाल जय सियाराम

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page