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आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान बच्चे को बचाने वाले CRPF जवान पवन की बहादुरी के कई और भी हैं किस्से

CRPF Jawan pawan kumar choubey
Image Source : ANI

नई दिल्ली/लखनऊ। बुधवार (1 जुलाई) को जम्मू-कश्मीर के सोपोर में हुए आतंकी हमले में सुरक्षा बलों ने एक 3 साल के मासूम को आतंकियों से बचा लिया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। दरअसल, सोपोर में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ में आतंकियों ने एक नागरिक को गोली मार दी, जबकि उसके 3 साल के पोते की जान बच गई। मासूम अपने मृत दादा के शव के सीने पर बैठकर रो रहा था। उस बच्चे को वाराणसी के गोल ढमकवां गांव के रहने वाले सीआरपीएफ जवान पवन कुमार चौबे ने अपनी जान पर खेलकर बचाया था। आप भी जानिए दिलेर सीआरपीएफ जवान पवन कुमार चौबे के बारे में। 

आज गुरुवार (2 जुलाई) को सीआरपीएफ 95 बटालियन के कमांडेंट एनपी सिंह ने दिलेर जवान पवन के वाराणसी से करीब 22 किमी की दूरी पर गोल ढमकवां गांव में पहुंचकर माता-पिता को सम्मानिता किया तो गांव वाले बेटे की बहादुरी पर गर्व कर रहे गांव के लोगों को गर्व महसूस हुआ। बता दें कि, पवन 2010 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे, झारखंड में टीम के साथ अपनी जांबाजी से दो नक्सलियों को मार गिराया था। 

वाराणसी से करीब 22 किमी की दूरी पर गोल ढमकवां गांव के रहने वाले पवन कुमार चौबे के चचेरे बाबा कल्लू चौबे पूर्व प्रधान भी रह चुके हैं, जबकि पवन के पिता किसान हैं। पवन ने फोन पर अपने घर वालों को मुठभेड़ की पूरी कहानी बताई थी। पवन तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। बड़ा भाई अजय कुमार चौबे मुंबई में कारपेट कम्पनी में कार्यरत हैं। दूसरे नंबर पर बहन रंजना की शादी प्रयागराज के पास हुई है।

पवन की मां सुशीला देवी को दोपहर में टीवी के जरिए बेटे की वीरता के बारे में जानकारी मिली। सुशीला देवी ने कहा कि बेटे ने न केवल देश का बल्कि घर, परिवार और गांव का नाम रोशन किया है। मां भगौती (भगवती) से कामना करती हूं कि वह स्वस्थ रहे। सुशीला देवी ने आगे बताया कि बीते बुधवार रात में बेटे पवन का फोन आया था। उसने बताया कि 179 बटालियन के जवान सोपोर मार्केट में कल ड्यूटी कर रहे थे। पास की मस्जिद में आतंकियों ने फायरिंग कर दी। एक बुजुर्ग को गोली लग गई और वो नीचे गिर पड़े थे। उनका पोता दादा के शव पर बैठकर रोने लगा था। मां ने कहा- मेरा लाल बच्चे के रोने की आवाज सुनकर खुद को रोक नहीं पाया और उसने कोहनी के बल लेटकर 80 मीटर दूर जाकर बच्चे को बचाया और सीने से चिपकाकर वापस आया।  

पवन के पिता ने सुभाष चौबे ने बताया कि वो (पवन) रोज सुबह फोन करता था। लेकिन, कल सुबह फोन नहीं आया तो चिंता हुई। 1 बजे उसको मैंने फोन किया तो बोला परेशानी में हूं, बाद में कॉल करते हैं। आधे घंटे बाद बताया कि घटना घटी है। फिर रात दस बजे कॉल किया कि अब तो सब कुछ पता चल गया होगा? पिता ने कहा कि बच्चे को बचाने के लिए आतंकियों से लड़ गया, मुझे अपने बेटे पर गर्व है। पिता ने बताया  कि छत्तीसगढ़ में भी पोस्टिंग के दौरान बेटे ने नक्सलियों को टक्कर दी थी। अब वह 3 सालों से सोपोर में तैनात है। कुछ भी पूछने पर बोलता है कि पापा देश की रक्षा करना मेरा फर्ज और ड्यूटी है। बीए की पढ़ाई करते समय ही फोर्स में भर्ती हो गया था। 

दो नक्सलियों को मार गिराया था

पवन की पत्नी शुभांगी बताती हैं कि 2012 में हमारी शादी हुई है। शुभांगी चौबे बताती हैं कि जनवरी में वह यहां से गए हैं। दोपहर में फोन पर सबकुछ घटनाक्रम की जानकारी दी थी। एकबार को मन में डर लगा लेकिन उनकी वीरता से ज्यादा देर तक नहीं रह सका। कहा कि मेरा बच्चा नहीं तो क्या हुआ बच्चा किसी का हो अपना ही होता है। मुझे उनपर काफी गर्व है। पवन का एक 8 साल का बेटा और 5 साल की बेटी है। पवन 2010 में CRPF में भर्ती हुए थे और 1 साल की ट्रेनिंग के बाद झारखंड में 203 कोबरा बटालियन में तैनात हुए। 2012 में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में पवन ने झारखंड में दो नक्सलियों को मार गिराया था। यह बटालियन खासतौर पर नक्सलवाद को खत्म करने के लिए बनाई गई है।

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