ChhattisgarhKabirdham

कवर्धा : अब बिना सुनवाई के नहीं चलेगा प्रशासन का बुलडोजर, अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई के नियमों में ये बड़े बदलाव

कवर्धा : अब बिना सुनवाई के नहीं चलेगा प्रशासन का बुलडोजर, अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई के नियमों में ये बड़े बदलाव

टीकम निर्मलकर AP न्यूज़ कवर्धा : प्रदेश में अवैध निर्माणों को लेकर शासन ने पुराने आदेश में बड़ा बदलाव करते हुए नई व्यवस्था लागू की है। अब बुलडोजर चलाने से पहले प्रशासन को हर कदम कानूनी, पारदर्शी और रिकॉर्ड में दर्ज तरीके से उठाना होगा। यानी अब किसी का घर या दुकान बिना सुनवाई के नहीं टूटेगा, लेकिन जो निर्माण सच में अवैध है उस पर कार्रवाई और भी सख्त होगी।

पहले नगरीय निकाय अक्सर बिना पूर्व सूचना या अधूरी जांच के निर्माण तोड़ देते थे। कई मामलों में लोगों को न तो कारण बताओ नोटिस मिलता था, न अपना पक्ष रखने का मौका। अब नया आदेश इस मनमानी पर पूरी तरह रोक लगाता है। अब नोटिस देना, जवाब लेना, सुनवाई करना और हर बात का रिकार्ड रखना अनिवार्य किया गया है।

नोटिस अब डाक और दीवार दोनों से
पुराने आदेश में सिर्फ नोटिस जारी करने का प्रावधान था, लेकिन अब नया नियम कहता है कि नोटिस रजिस्टर्ड डाक से भेजा जाएगा और उसकी एक प्रति भवन की दीवार पर चिपकाना जरूरी होगा, ताकि कोई यह न कह सके कि उसे पता नहीं चला।

अपील का अधिकार हुआ मजबूत
पहले अपील की प्रक्रिया अस्पष्ट थी, पर अब शासन ने तय किया है कि आदेश पारित होने के बाद 15 दिन तक कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस अवधि में प्रभावित व्यक्ति अपील कर सकता है या खुद निर्माण हटा सकता है। अगर उसने ऐसा नहीं किया तो बुलडोजर कार्रवाई तय होगी।

अब हर ध्वस्तीकरण कैमरे की नजर में
पुराने आदेशों में वीडियो रिकार्डिंग का उल्लेख नहीं था। अब नया नियम कहता है कि पूरी तोड़फोड़ की वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी। कौन-कौन अधिकारी, पुलिसकर्मी और कर्मचारी मौके पर थे, यह सब ध्वस्तीकरण रिपोर्ट में दर्ज किया जाएगा।

अफसरों पर भी जवाबदेही तय
पहले कार्रवाई में गलती होने पर किसी अधिकारी पर जवाबदेही तय नहीं होती थी, लेकिन अब अगर किसी अधिकारी ने बिना नियमों के किसी की संपत्ति गिरा दी, तो क्षति की भरपाई उसकी जेब से होगी और उसके खिलाफ अभियोजन या अवमानना की कार्रवाई भी हो सकती है।

डिजिटल ट्रैकिंग का नया प्रविधान
यह सबसे बड़ा बदलाव है, पहली बार शासन ने सभी नगर निगमों और नगर पंचायतों को डिजिटल पोर्टल बनाने का आदेश दिया है। इस पर हर अवैध निर्माण से जुड़ी फाइल, नोटिस, जवाब, आदेश और सुनवाई की स्थिति सार्वजनिक रूप से उपलब्ध रहेगी। यानी जनता अब ऑनलाइन देख सकेगी कि किसका निर्माण अवैध घोषित हुआ और क्या कार्रवाई चल रही है।



Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page