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जिले में “सांस अभियान” के माध्यम से निमोनिया रोकथाम के लिए व्यापक जनजागरूकता

AP न्यूज विश्वराज ताम्रकार जिला ब्यूरो चीफ केसीजी

खैरागढ़ 18 नवंबर 2025// खैरागढ़–छुईखदान–गंडई जिले में छोटे बच्चों को निमोनिया जैसी गंभीर बीमारी से बचाने के उद्देश्य से “सांस अभियान” को व्यापक स्तर पर लागू किया जा रहा है। कलेक्टर श्री इंद्रजीत सिंह चंद्रवाल के निर्देशन तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आशीष शर्मा के मार्गदर्शन में स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार समुदाय तक जागरूकता पहुँचाने के लिए सक्रिय है। खंड चिकित्सा अधिकारियों, सेक्टर अधिकारियों, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, मितानिनों और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा गाँव-गाँव जाकर अभियान को प्रभावी तरीके से संचालित किया जा रहा है। अभियान का मुख्य संदेश है—“हर बच्चा निमोनिया से सुरक्षित रहे।”

निमोनिया छोटे बच्चों में फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है, जो बहुत तेजी से खतरनाक रूप ले सकता है। जन्म से पाँच वर्ष तक के बच्चों में यह मृत्यु का प्रमुख कारण माना जाता है, परंतु अच्छी बात यह है कि यह पूरी तरह रोके जाने योग्य और समय पर इलाज होने पर आसानी से ठीक हो जाने वाली बीमारी है। गंदगी, धुआँ, कुपोषण, कम वजन, समय से पहले जन्म, भीड़भाड़ और कम टीकाकरण जैसे कारण इसके जोखिम को बढ़ाते हैं। तेज सांस चलना, सांस में सीटी जैसी आवाज़ आना, पसलियों का अंदर धँसना, खांसी, बुखार, कमजोरी, दूध पीने में कमी और होंठ या नाखून नीले पड़ना निमोनिया के मुख्य लक्षण हैं। ऐसे किसी भी लक्षण पर तुरंत स्वास्थ्य केंद्र पहुँचकर उपचार कराना आवश्यक है।

अभियान के दौरान माता-पिता और समुदाय को बताया जा रहा है कि तेज सांस की पहचान सबसे महत्वपूर्ण संकेत है। दो माह से कम उम्र में 60 से अधिक, दो से बारह माह में 50 से अधिक और एक से पाँच वर्ष की आयु में 40 से अधिक सांस प्रति मिनट होने पर बच्चे को तुरंत स्वास्थ्य केंद्र ले जाना चाहिए। स्वास्थ्य कार्यकर्ता सांस गिनने और लक्षण पहचानने की प्रक्रिया को घर-घर प्रदर्शित कर रहे हैं, ताकि हर परिवार प्रारंभिक संकेतों को समझ सके।

निमोनिया से बचाव में टीकाकरण सबसे प्रभावी सुरक्षा कवच है। पेंटावैलेंट, पीसीवी, डीपीटी बूस्टर, एमआर वैक्सीन और जन्म के समय दिया जाने वाला बीसीजी टीका बच्चों को गंभीर संक्रमण से बचाते हैं। स्वास्थ्य विभाग समय पर टीकाकरण सुनिश्चित कराने पर विशेष जोर दे रहा है। इसके साथ ही स्तनपान, पौष्टिक भोजन, स्वच्छता, धुएँ से दूरी, साफ पानी और साफ-सफाई जैसी आदतें निमोनिया की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

अभियान के तहत आंगनबाड़ी और मितानिनों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है, जिसमें तेज सांस पहचान, छाती धँसने के संकेत, घर-घर निगरानी, और गंभीर बच्चों के त्वरित रेफरल की प्रक्रिया शामिल है। पंचायतों, महिला मंडलों, ग्राम सभाओं, स्कूलों और स्वास्थ्य समितियों में लगातार बैठकें आयोजित कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। मितानिनें प्रत्येक घर में जाकर माताओं को निमोनिया के लक्षण, रोकथाम और समय पर स्वास्थ्य केंद्र पहुँचने की जानकारी दे रही हैं। विद्यालयों में बच्चों को स्वच्छता, खांसी-शिष्टाचार और टीकाकरण के महत्व के बारे में बताया जा रहा है। गंभीर लक्षण मिलने पर तत्काल उपचार के लिए स्वास्थ्य केंद्रों में तेज प्रतिक्रिया प्रणाली भी सक्रिय की गई है।

स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि निमोनिया की रोकथाम केवल स्वास्थ्य व्यवस्था की नहीं, बल्कि पूरे समुदाय की सामूहिक जिम्मेदारी है। माता-पिता बच्चों के पोषण और टीकाकरण पर ध्यान दें, दादा-दादी धुएँ से बच्चों को दूर रखें, शिक्षक व आंगनबाड़ी स्वच्छता और स्वास्थ्य व्यवहार को प्रोत्साहित करें, पंचायतें स्वच्छ वातावरण और धुएँ रहित रसोई की व्यवस्था को बढ़ावा दें, और मितानिनें समुदाय के हर परिवार तक सही जानकारी पहुँचाती रहें।

कार्यक्रम के अंत में सामूहिक संकल्प लिया गया कि हमारे जिले का कोई भी बच्चा निमोनिया से पीड़ित न हो और हर बच्चा सुरक्षित, स्वस्थ और मजबूत बने। पूरा जिला एकजुट होकर यह सुनिश्चित करने में जुटा है कि—“हर बच्चा निमोनिया से सुरक्षित रहे।”

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