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पोंडी: गायत्री गुरुकुल पोड़ी में पांच दिवसीय प्राकृतिक चिकित्सा शिविर का आयोजन

पोंडी: गायत्री गुरुकुल पोड़ी में पांच दिवसीय प्राकृतिक चिकित्सा शिविर का आयोजन

चतुर्थ दिवस योग सत्र में उमड़ी स्वास्थ्य साधकों की भीड़

टीकम निर्मलकर AP न्यूज़ कवर्धा पोंडी – गायत्री गुरुकुल पोड़ी में शीतकालीन सत्र के अंतर्गत पतंजलि योग शिक्षकों द्वारा आयोजित पांच दिवसीय प्राकृतिक चिकित्सा शिविर के चतुर्थ दिवस, प्रातःकालीन योग सत्र में बड़ी संख्या में स्वास्थ्य साधकों की उपस्थिति रही। यह शिविर 21 से 25 दिसंबर तक आयोजित किया गया है।इस शिविर में न केवल कबीरधाम जिला बल्कि छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के साथ-साथ मध्यप्रदेश (उज्जैन) एवं उत्तर प्रदेश से भी स्वास्थ्य साधक पहुंचे हुए हैं। शिविर में पतंजलि योगपीठ हरिद्वार से प्रशिक्षित रोगानुसार चिकित्सकों द्वारा स्वास्थ्य साधकों का उपचार किया जा रहा है।

इस शिविर में न केवल कबीरधाम जिला बल्कि छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के साथ-साथ मध्यप्रदेश (उज्जैन) एवं उत्तर प्रदेश से भी स्वास्थ्य साधक पहुंचे हुए हैं। शिविर में पतंजलि योगपीठ हरिद्वार से प्रशिक्षित रोगानुसार चिकित्सकों द्वारा स्वास्थ्य साधकों का उपचार किया जा रहा है।

आयोजकों ने बताया कि प्राचीन भारतीय ऋषि-मुनियों द्वारा प्रदत्त आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के माध्यम से आज भी लोग उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं। महर्षि चरक, सुश्रुत, पतंजलि, वाग्भट एवं भगवान धन्वंतरि की आयुर्वेदिक परंपराओं को आत्मसात करते हुए पतंजलि योग शिक्षकों द्वारा “आयुर्वेद अर्थात आयु का विज्ञान” को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से इस शिविर का आयोजन किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य भागदौड़ भरी जीवनशैली से ग्रसित लोगों को योग, यज्ञ एवं संतुलित आहार के माध्यम से स्वस्थ जीवन की ओर प्रेरित करना है।

योग थैरेपी
प्रातःकालीन योग सत्र में  स्वामी अशोकानंद द्वारा विभिन्न रोगों से पीड़ित साधकों को रोगानुसार योगाभ्यास कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि गीता में योगेश्वर श्रीकृष्ण ने योग को समत्व का मार्ग बताया है तथा आयुर्वेद में त्रिदोष—वात, पित्त और कफ—के संतुलन को स्वास्थ्य का आधार माना गया है।

यज्ञ थैरेपी से हो रहा चिकित्सा
यज्ञ चिकित्सक हरिराम साहू द्वारा रोगानुसार विशेष हवन सामग्री से यज्ञ चिकित्सा कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि यज्ञ एक पूर्णतः वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति है, जिसमें आडंबर का कोई स्थान नहीं है। यज्ञ में प्रयुक्त औषधियां ऊर्जा में परिवर्तित होकर वातावरण को शुद्ध करती हैं, जिससे स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यज्ञीय वातावरण में योग-प्राणायाम करने से विशेष लाभ मिलता है, जिसका अनुभव साधक प्रत्यक्ष रूप से कर रहे हैं।

षट्कर्म एवं अन्य चिकित्सा पद्धतियां

शरीर शोधन हेतु षट्कर्म क्रियाओं में बस्ती, नौली, कपालभाति, नेती एवं त्राटक का अभ्यास कराया जा रहा है। इसके साथ ही कपिंग, शिरोधारा, अक्षी तर्पण, अभ्यंग एवं एक्यूप्रेशर जैसी भारतीय चिकित्सा पद्धतियों द्वारा भी उपचार किया जा रहा है।
चतुर्थ दिवस के प्रातःकालीन योग सत्र में जनपद पंचायत बोड़ला के उपाध्यक्ष  नंद श्रीवास एवं समाजसेवी  भगत पटेल विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने भारतीय चिकित्सा पद्धति के महत्व को समझते हुए लोगों को इसे अपनाने के लिए प्रेरित किया।

इस शिविर में पतंजलि योग शिक्षकों में शिवकुमार निषाद, मनोहर साहू, राजकुमार वर्मा, हजारी चंद्रवंशी, दुर्योधन पाली, ओमकार राजपूत, हरिराम साहू, सौरभ साहू, राघव साहू, रोहन चंद्रवंशी, वेद साहू, ओमप्रकाश निषाद, रामचंद सहित गायत्री परिवार से शत्रुघ्न वर्मा एवं रामुनी वानप्रस्थी  तथा अनेक योग साधक उपस्थित रहे।

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