बेमेतरा। पीडब्ल्यूडी विभाग का बड़ा कारनाम सामने आया है। सड़क बनाने के लिए ग्रामीणों के घर, खेत और दुकान को छींन लिया है। जब मुआवजा देने की बारी आई तो आनाकानी करने लगे। विगत 4 वर्षों से अपने हक के पैसे के लिए ग्राम चिल्फी, सोमईकला के पीड़ित परिवार, किसान और दुकानदार पीडब्ल्यूडी विभाग, क्षेत्र के मंत्री, कलेक्टर इन सभी के पास गिड़गिड़ा रहे हैं। लेकिन इनकी बात नहीं सुनी जा रही है। इन 4 वर्षों में प्रभावित ग्रामीणों हजारों आवेदन दे चुके हैं। लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन दिया जा रहा है।
पूरा मामला साजा विधानसभा का है, जहां छत्तीसगढ़ शासन के कद्दावर कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का विधानसभा क्षेत्र है। ग्राम भरदा चौक से मजगांव तक 13 किलोमीटर टू लेन सड़क का निर्माण पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा सत्र 2017 पूर्व सरकार के द्वारा कराया गया था।
यह सड़क काफी महत्वपूर्ण है जो कि बेमेतरा जिला से शुरू होकर कवर्धा जिला को जोड़ती है। इस सड़क निर्माण के दौरान ग्राम चिल्फी ,सोमईकला में 80 से 90 घर, खेत और दुकानों को तोड़कर जमीन अधिग्रहण किया गया था। जिसके लिए पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा बतौर नोटिस देकर तोड़वाया गया था और समस्त प्रभावित लोगों का मौके पर मुआवजा प्रकरण भी बनाया गया था।
राज्य शासन के नियमानुसार मुआवजा राशि आवंटित करनी थी जो आज पर्यंत नहीं हो पाया है। इस प्रकरण में सबसे रोचक बात यह है कि रोड बनते तक अधिकारी -कर्मचारी, नेता ग्रामीणों के समक्ष रास्ता बनाने की खातिर हाथ जोड़ कर रास्ता तो ले लिए, लेकिन रोड बनने के पश्चात अब ग्रामीण मुआवजा के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए ग्रामीणों ने बताया कि मुआवजे की आस में हम कर्ज में डूब गए हैं। कर्ज लेकर बेटियों की शादी की तथा अन्य काम भी किए हैं। साहूकार हमारे दरवाजे पर खड़ा है यह कैसी विडंबना है हम अपने ही पैसे के लिए अधिकारी के समक्ष पीछे-पीछे घूम रहे हैं और उनसे विनती कर रहे हैं।
उठ रहे सवाल
सरकार जनहित में विकास के नाम पर सड़कें,जलाशय ,नहरों तथा अन्य कार्य करा कर अपनी पीठ थपथपा दी है, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि उन विकास कार्यों में अधिग्रहण की हुई जमीन एक जरूरतमंद की है और उनका पहला हक है उनके साथ अन्याय ना हो।
वहीं पीडब्ल्यूडी के अधिकारी निर्मल सिंह से मुआवजे को लेकर मीडिया बात करनी चाहिए तो अपनी गलती छुपाने के चक्कर में अपना आपा खो बैठा और बदसलूकी करने लगा ।