प्राथमिक सह माध्यमिक विद्यालय केशलीगोड़ान में गुरु घासीदास जयंती धूमधाम से मनाया गया

प्राथमिक सह माध्यमिक विद्यालय केशलीगोड़ान में गुरु घासीदास जयंती धूमधाम से मनाया गया


AP न्यूज़ पण्डरिया- गुरु घासीदास जयंती के 268 वीं वर्षगांठ के अवसर पर बिरकोना संकुल के शास. प्राथ. सह माध्य. शाला केशलीगोड़ान में हर्षोल्लास के साथ जयंती समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ गुरु घासीदास जी के चित्र, जोड़ा जैतखाम पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुआ। विद्यालय के शिक्षकों और छात्रों ने मिलकर गुरु घासीदास जी के जीवन पर प्रकाश डाला और उनके बताए सतनाम के सिद्धांतों का अनुसरण करने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम में बच्चों ने गीत, कविता पाठ, और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से गुरु घासीदास जी के आदर्शों को जीवंत किया। माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक विजय चंदेल तथा प्राथमिक शाला के प्रधान पाठक शिवकुमार बंजारे ने अपने उद्बोधन में कहा कि गुरु घासीदास जी छत्तीसगढ़ के महान संत और सतनाम पंथ के प्रवर्तक थे। उन्होंने समाज में व्याप्त अंधविश्वास, जातिवाद, असमानता और पाखंड के खिलाफ आवाज उठाई और अपने सिद्धांतों के माध्यम से लोगों को एकता, सत्य और समानता का संदेश दिया।

उनके प्रमुख सिद्धांत इस प्रकार हैं- 1. सत्य का पालन
गुरु घासीदास ने सत्य को सर्वोच्च माना और लोगों को हमेशा सत्य बोलने और सत्य मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि सत्य ही मानव जीवन का आधार है। 2. समानता का सिद्धांत उनका मुख्य संदेश था – “मनखे-मनखे एक समान”। इसका अर्थ है कि सभी मनुष्य समान हैं और किसी में भेदभाव नहीं होना चाहिए, चाहे वह जाति, धर्म, रंग या लिंग के आधार पर हो। 3. अहिंसा और करुणा गुरु घासीदास ने अहिंसा का पालन करने और सभी जीवों के प्रति करुणा दिखाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि हमें किसी भी जीव को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। 4. पाखंड और अंधविश्वास का विरोध उन्होंने समाज में फैले अंधविश्वास और धार्मिक पाखंडों का कड़ा विरोध किया और लोगों को सच्चे ईश्वर की आराधना करने की प्रेरणा दी। 5. सादा जीवन, उच्च विचार
गुरु घासीदास ने लोगों को सादगी से जीवन जीने और उच्च नैतिक मूल्यों का पालन करने का मार्ग दिखाया। उन्होंने भौतिक सुखों के पीछे भागने की बजाय सच्चाई और ईमानदारी से जीवन जीने पर बल दिया। 6. सतनाम का संदेश गुरु घासीदास ने “सतनाम” का प्रचार किया, जिसका अर्थ है – सच्चे नाम या सत्य परमात्मा की उपासना करना। 7. उन्होंने कहा कि ईश्वर एक है और हमें उसके सच्चे नाम के साथ रहना चाहिए।


गुरु घासीदास के ये सिद्धांत आज भी समाज में समानता, भाईचारा और सच्चाई की राह पर चलने की प्रेरणा देते हैं। उनका जीवन और विचार सदियों से प्रेरणादायक रहे हैं। सत्य, अहिंसा और समानता के संदेश को वर्तमान समाज के लिए प्रासंगिक बताया और छात्रों को उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाने की अपील की। इस अवसर पर शिक्षक सत्येंद्र नाथ प्रताप सिंह, श्रीमती लता चांदसे, तुलसी धुर्वे, कन्हैया धुर्वे, श्रीराम धुर्वे, मनोज धुर्वे सहित स्थानीय अभिभावकगण और गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में बच्चों को मिष्ठान वितरण किया गया और सभी ने मिलकर गुरु घासीदास जी के आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया। विद्यालय परिवार ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।

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