कवर्धा बोड़ला:- बच्चो का भविष्य अंधकार में। चौकीदार के भरोसे छोड़ जाते है ग्राम लूप आदिवासी बैगा बालक आश्रम ।
कवर्धा बोड़ला:- बच्चो का भविष्य अंधकार में। चौकीदार के भरोसे छोड़ जाते है ग्राम लूप आदिवासी बैगा बालक आश्रम।
आपको बता दे कि बोड़ला विकास खंड ग्राम लूप में आदिवासी बैगा बालक आश्रम में छोटे नन्हे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। 2 शिक्षक 5 कक्षा का कार्यभार संभाले हुए है। और प्रधान पाठक ऑफिस के काम में बिजी रहते है खाली समय मिलने में कक्षा में जाके बैगा बच्चो को पढ़ाई करा देते है। चार में से एक शिक्षक पुसाऊ राम मरावी 3 माह से गायब और शिवकुमार यादव रसोईया 2 साल से गायब है। यह जानकारी बालक आश्रम स्टॉप द्वारा दिया गया। लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नही हुई है। आश्रम स्टॉप द्वारा बताया गया की दोनो की अनुपस्थिति की जानकारी प्रधान पाठक और बालक आश्रम चारु सिंह मरावी अधिक्षक को है। फिर भी कोई कार्यवाही नही करवाते है।
समस्याओं से घिरे लूप आदिवासी बैगा बालक आश्रम। शिक्षको के द्वारा मिली जानकारी।
रात में चौकीदार के भरोसे बैगा बालक आश्रम को छोड़ के चले जाते है। कभी रुकते है कभी नहीं रुकते चारु सिंह मरावी जानकारी के मुताबिक आश्रम में बहुत ही ज्यादा समस्या है। स्टाप की कमी के कारण बच्चो को ठीक से शिक्षा नई मिल पा रही है। इस समस्या को अवगत अधीक्षक को है । आश्रम अधिक्षक से बात करने में बताया की मैं ग्राम दुलदुला स्कूल में पदस्थ हु। और आश्रम 4 बजे आता हु। दोनो जगहों में कार्यभार संभालने में दिक्कत हो रहा है। लेकिन चारु सिंह मरावी के द्वारा गोल मोल बात किया गया। चार बजे बच्चो द्वारा बताया गया की चारु सिंह मरावी अभी घर गए है ।थोड़ा देर में आएंगे। अब देखना है कि अधिकारी इस आदिवासी बैगा बालक आश्रम की समस्या से कैसे छुटकारा दिलाते है। बच्चो का भविष्य बैगा बालक आश्रम में सवरता है। की की अंधकार के ओर बढ़ता है।
बैगा बालक आश्रम लूप में स्टॉप कमी के कारण शिक्षक लगाते है झाड़ू।
अपने समस्या से अवगत कराते हुए शिक्षकों द्वारा बताया गया कि हम अभी ऐसी स्थिति में चल रहे हैं कि क्या बताएं हमको अपने आश्रम कक्षा कार्यालय में स्वयं झाडू तक लगाना पड़ता है स्टाफ की कमी के कारण यह सूचना जानकारी प्रधान पाठक और अधीक्षक दोनों को है लेकिन ऊपर से कोई कार्यवाही या कोई मांग की पूर्ति नहीं हुई है और एक शिक्षक पुसाऊ राम मरावी तीन-चार महीना से गायब रहते हैं । कभी आते हैं कभी नहीं आते है। हम लोगों को बहुत समस्या का सामना करना पड़ रहा है अधिकारी ऊपर बात नहीं सुनते हैं । प्रधान पाठक और अधीक्षक द्वारा पूछने पर बताते हैं कि ऊपर में हमने लिखित आवेदन दे दिया गया है लेकिन कोई कार्यवाही या मांग पूर्ति नहीं की जा रही है।
आदिवासी बैगा बच्चों के लिए सरकार द्वारा कई ऐसी योजनाएं है किजो उनके भविष्य को उज्जवल बनाने का काम करती है लेकिन यहां कुछ और ही देखने को मिल रहा है।